वर्ष 2014-15 का आर्थिक सर्वे वित्तमंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में 27 फरवरी, 2015 को पेश किया। सनद रहें, कि आर्थिक सर्वे बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता है, जिसमें पिछले 12 महीनों में देश की आर्थिक स्थिति के बारे में बताया जाता है। साथ ही, आने वाले समय में आर्थिक स्थिति कैसी रह सकती है, इसके बारे में भी बताया जाता है।
आर्थिक समीक्षा के मुताबिक, साल 2013 के बाद महंगाई दर में भारी कमी दर्ज की गई है। चालू खाते का घाटा कम किया गया है। सर्वे में बताया गया है कि देश को लंबी अवधि के निवेश पर और ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।
वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा प्रस्तुत सर्वेक्षण मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक टीम ने तैयार की है। कृषि क्षेत्र के बारे में सर्वेक्षण में कहा गया है, '2014-15 के लिए अनाज उत्पादन 25.707 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल के उत्पादन से 85 लाख टन अधिक होगा।'
आर्थिक सर्वेक्षण 2014-15 के महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार है–
● अप्रैल से दिसंबर के बीच महंगाई घटी।
● आने वाले वर्षों में आर्थिक वृद्धि दर 8 से 10 प्रतिशत के बीच संभव।
● राजस्व बढ़ाने की बड़ी प्राथमिकताओं में सब्सिडी की नई सिरे से होगी समीक्षा।
● सब्सिडी का फायदा उच्च वर्ग को ज्यादा मिलने के कारण स्थिति में नहीं हुआ सुधार, कम की जा सकती है सब्सिडी।
● 2014-15 में विकास घरेलू मांग के कारण कृषि विकास का लक्ष्य 4 फीसदी कम रह सकता है।
● वर्ष 2014-15 में वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान।
● 2015 में वित्तीय घाटे के लिए निर्धारित किया गया 4.1 फीसदी का लक्ष्य प्राप्त करने की उम्मीद जताई।
● सरकार चुनौतियों के बावजूद 2014-15 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.1 प्रतिशत के दायरे में रखने पर कायम।
● 2016 में महंगाई दर 5-5.5 फीसदी रहने का अनुमान।
● 2016 तक करंट अकाउंट घाटा कम होकर आ सकता है 1 फीसदी के स्तर तक, जबकि 2015 में इसके 1.3 रहने का अनुमान।
● फलों-सब्जियों को एपीएमसी एक्ट से बाहर करने की मांग।
● बैंकिंग और बीमा क्षेत्र में हो सकते हैं बड़े रिफॉर्म।
● 2015 में खाद्य सब्सिडी 1.08 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान।
● सब्सिडी पहुंचाने के लिए मोबाइल और पोस्ट ऑफिस नेटवर्क का इस्तेमाल हो सकता है।
● पोस्ट ऑफिस को आधार कार्ड से मिलने वाले बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम से जोड़ा जा सकता है।
● 2015-16 में आर्थिक वृद्धि 8.1 से 8.5 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान।
● चालू खाते का घाटा 2015-16 में घटकर जीडीपी के एक प्रतिशत पर आ जाएगा।
● खाद्यान्न उत्पादन 2014-15 में 25.70 टन रहने का अनुमान, पिछले पांच साल के औसत में 85 लाख टन अधिक हो जाएगा।
● सरकार राजकोषीय मजबूती के लिए प्रतिबद्ध, राजस्व सृजन बढ़ाना प्राथमिकता।
● खाद्य सब्सिडी बिल अप्रैल-जनवरी 2014-15 के दौरान 20 प्रतिशत बढ़कर 1.07 लाख करोड़ रुपए रहा।
● वित्त वर्ष 2014-15 में खाद्य उत्पादन 25.70 करोड़ टन रहने का अनुमान जो पिछले पांच वर्ष के औसत प्रदर्शन से 85 लाख टन अधिक होगा।
● सरकार की पहलों और कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट से मुद्रास्फीति में कमी का रुझान।
● जीएसटी, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण से बाजी मारी जा सकती है।
● नीति आयोग, 14वां वित्त आयोग राजकोषीय संघवाद को बढ़ाएगा।
● मेक इन इंडिया और ‘स्किलिंग इंडिया’ के बीच संतुलन बनाने की जरूरत।
● विश्व व्यापार संगठन में सेवा क्षेत्र के समझौते बाजार पहुंच की बाधाएं दूर करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण।
● निवेश बढ़ाने के लिए पीपीपी माडल को जीवंत बनाने की जरूरत।
● विनिर्माण और सेवा क्षेत्र आर्थिक-वृद्धि के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण।
● कृषि विकास का लक्ष्य 4 फीसदी से कम रह सकता है।
आर्थिक समीक्षा के मुताबिक, साल 2013 के बाद महंगाई दर में भारी कमी दर्ज की गई है। चालू खाते का घाटा कम किया गया है। सर्वे में बताया गया है कि देश को लंबी अवधि के निवेश पर और ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।
वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा प्रस्तुत सर्वेक्षण मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक टीम ने तैयार की है। कृषि क्षेत्र के बारे में सर्वेक्षण में कहा गया है, '2014-15 के लिए अनाज उत्पादन 25.707 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल के उत्पादन से 85 लाख टन अधिक होगा।'
आर्थिक सर्वेक्षण 2014-15 के महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार है–
● अप्रैल से दिसंबर के बीच महंगाई घटी।
● आने वाले वर्षों में आर्थिक वृद्धि दर 8 से 10 प्रतिशत के बीच संभव।
● राजस्व बढ़ाने की बड़ी प्राथमिकताओं में सब्सिडी की नई सिरे से होगी समीक्षा।
● सब्सिडी का फायदा उच्च वर्ग को ज्यादा मिलने के कारण स्थिति में नहीं हुआ सुधार, कम की जा सकती है सब्सिडी।
● 2014-15 में विकास घरेलू मांग के कारण कृषि विकास का लक्ष्य 4 फीसदी कम रह सकता है।
● वर्ष 2014-15 में वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान।
● 2015 में वित्तीय घाटे के लिए निर्धारित किया गया 4.1 फीसदी का लक्ष्य प्राप्त करने की उम्मीद जताई।
● सरकार चुनौतियों के बावजूद 2014-15 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.1 प्रतिशत के दायरे में रखने पर कायम।
● 2016 में महंगाई दर 5-5.5 फीसदी रहने का अनुमान।
● 2016 तक करंट अकाउंट घाटा कम होकर आ सकता है 1 फीसदी के स्तर तक, जबकि 2015 में इसके 1.3 रहने का अनुमान।
● फलों-सब्जियों को एपीएमसी एक्ट से बाहर करने की मांग।
● बैंकिंग और बीमा क्षेत्र में हो सकते हैं बड़े रिफॉर्म।
● 2015 में खाद्य सब्सिडी 1.08 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान।
● सब्सिडी पहुंचाने के लिए मोबाइल और पोस्ट ऑफिस नेटवर्क का इस्तेमाल हो सकता है।
● पोस्ट ऑफिस को आधार कार्ड से मिलने वाले बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम से जोड़ा जा सकता है।
● 2015-16 में आर्थिक वृद्धि 8.1 से 8.5 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान।
● चालू खाते का घाटा 2015-16 में घटकर जीडीपी के एक प्रतिशत पर आ जाएगा।
● खाद्यान्न उत्पादन 2014-15 में 25.70 टन रहने का अनुमान, पिछले पांच साल के औसत में 85 लाख टन अधिक हो जाएगा।
● सरकार राजकोषीय मजबूती के लिए प्रतिबद्ध, राजस्व सृजन बढ़ाना प्राथमिकता।
● खाद्य सब्सिडी बिल अप्रैल-जनवरी 2014-15 के दौरान 20 प्रतिशत बढ़कर 1.07 लाख करोड़ रुपए रहा।
● वित्त वर्ष 2014-15 में खाद्य उत्पादन 25.70 करोड़ टन रहने का अनुमान जो पिछले पांच वर्ष के औसत प्रदर्शन से 85 लाख टन अधिक होगा।
● सरकार की पहलों और कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट से मुद्रास्फीति में कमी का रुझान।
● जीएसटी, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण से बाजी मारी जा सकती है।
● नीति आयोग, 14वां वित्त आयोग राजकोषीय संघवाद को बढ़ाएगा।
● मेक इन इंडिया और ‘स्किलिंग इंडिया’ के बीच संतुलन बनाने की जरूरत।
● विश्व व्यापार संगठन में सेवा क्षेत्र के समझौते बाजार पहुंच की बाधाएं दूर करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण।
● निवेश बढ़ाने के लिए पीपीपी माडल को जीवंत बनाने की जरूरत।
● विनिर्माण और सेवा क्षेत्र आर्थिक-वृद्धि के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण।
● कृषि विकास का लक्ष्य 4 फीसदी से कम रह सकता है।
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