भारत के प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण का 26 जनवरी, 2015 को निधन हो गया। 'आम आदमी' को अपनी कूची से जीवंत करने वाले 93 वर्षीय लक्ष्मण को पेशाब संबंधी संक्रमण के लिए 17 जनवरी को दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल के सघन निगरानी कक्ष(आईसीयू) में भर्ती करवाया गया था।
रासीपुरम कृष्णस्वामी लक्ष्मण का जन्म 23 अक्टूबर 1921 को मैसूर में हुआ था। लक्ष्मण को ‘कॉमन मैन’ नामक शानदार कार्टून चरित्र गढ़ने का श्रेय जाता है। वे आम आदमी की पीड़ा खास तौर पर समाज की विकृतियों, राजनीतिक विदूषकों और उनकी विचारधारा के विषमताओं पर भी वे तीखे ब्रश चलाते थे। लक्ष्मण सबसे ज्यादा अपने कॉमिक स्ट्रिप 'द कॉमन मैन' के लिए जाने जाते हैं।
लक्ष्मण ने मैसूर के महाराजा कॉलेज से पढ़ाई की। उसी दौरान वह 'स्वराज' और 'ब्लिट्ज' जैसी पत्रिकाओं के लिए काम किया करते थे। उन्होंने पहली बार बतौर कार्टूनिस्ट 'द फ्री प्रेस जर्नल' में फुल टाइम जॉब किया। वह वहां राजनीतिक कार्टूनिस्ट की हैसियत से थे। बाद में वह अंग्रेजी अखबार 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' चले गए, जहां उन्होंने 'द कॉमन मैन' की रचना की और करीब 50 साल तक काम किया।
आरके लक्ष्मण अपनी बेहतरीन प्रतिभा के लिए पद्म विभूषण, पद्म भूषण, बीडी गोयनका पुरस्कार, दुर्गा रतन स्वर्ण पदक और रमन मैग्सेसे जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं।
एक कार्टूनिस्ट होने के अलावा उन्होंने 'द एलोक्वोयेन्ट ब्रश', 'होटल रिवीयेरा', 'द मैसेंजर' और अपनी आत्मकथा 'द टनल ऑफ टाइम' का संपादन भी किया है
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